जहाँ चार यार ...
बचपन की यारी वक़्त के साथ ज्यादातर कुछ खट्टी मीठी यादें बन कर रह जाती है. और जाब बात एक अति पिछड़े आदिवासी गाँव के कुछ बच्चों की हो तो फिर रोजी की तलाश में खानाबदोशों सी जिंदगी बसर करना ही नियति होती है. ऐसे में दोस्ती जैसे रिश्ते के मायने और निभाने की बातें बहुत व्यावहारिक नहीं होते. पर मेलघाट के सीमांत गाँव बोराला के भारत जम्बू और उनके तिन दोस्तों ने न सिर्फ साथ रहकर अपनी दोस्ती निभाई है बल्कि गाँव का सामाजिक परिप्रेक्ष्य भी बदल कर रख दिया है. चारों दोस्त आज नाबार्ड अर्थसहाय्यित वाड़ी प्रकल्प की बोराला ग्राम नियोजन समिति के कर्णधार है. बाबाराव बेठे इस समिति का अध्यक्ष है तो वहीँ भारत जाम्बु, दयाराम जाम्बु और दीपक महल्ले ग्राम नियोजन समिति में सदस्य है. (Continue)
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